माधव दास जी का जन्म गाँव (जिसे अभी धोबी की गुवाद्दी से जाना जाता है), तहसील चोमू में हुआ था ! इनका परिवार मध्यम वर्गीय था ! बागड़ा परिवार में जन्म लिया था !
युवा वस्था के समय ये थोड़े शरारती थे ! गाये, भैसे चराना इनका सुबह से लेकर शाम तक यही काम था! गाँव के बाहर स्थित खेतो में घास खोदते थे अपनी गायो , भैसों के लिए ! जन्म के थोड़े दिनों के पश्चात इनका परिवार पास स्थित गाँव कल्याणपुरा में चला गया था !
इन्होने अपना आश्रम रामनगर घिनोई जो की कल्याण पुरा के नजदीक है में बना रखा है ! आश्रम इतना सुंदर है की कोई भी इस आश्रम में एक बार जाने के बाद वापस आने का मन नही करता है ! यह आश्रम गाँव से उत्तर दिशा में बना हुआ है ! आश्रम में एक गोशाला है जिसमे लगभग २०० गायो के लिए स्थान उपलब्ध है ! जिसमे गायो की देखभाल के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त कर रखा है !
बाबा जी का एक आश्रम जयसिंह पुरा के नजदीक है ! यहाँ पर भी एक गोशाला है जिसके बाहर रात को गायो का झुंड एक मधुर सा द्रश्य अति सुंदर लगता है !
घिनोई गाँव में पहले लगभग २० साल पहले बहुत अधिक लूटमार मची रहती थी लेकिनमाधव दास जी आने के बाद यह गाँव एकता के बंधन में बंद गया ! इन्होने गाँव वासियो को एकता के सूत्र में बाँध दिया था ! जहा पर नही कोई जात पात थी नही कोई लुट मार ! इन्होने गाँव में अनेको बार भंडारा, यज्ञ, रामधनी इत्यादी की भी वयवस्था कर गाँव वासियों को एक जुट रखते थे! माधव दास जी आस पास के सभी गावों को प्रिय लगते थे जैसे की टाडावास, कल्यानपुर, राधा किशनपुरा, विमलपुरा, कालाडेरा, सबलपुरा, मुंडिया दुर्गा का बॉस इत्यादी गावों के लोग अत्यधिक पसंद करते थे!
घिनोई गाँव भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर जिले की तहसील चोमू में स्थित है ! चोमू कसबे से लगभग २० किलोमीटर पश्चिम दिशा में स्थित है! गाँव में जाने के लिए चोमू में घिनोई स्टैंड से जीप, गाडिया लगती है ! बीच में जयसिंह पुरा पड़ता है जहा पर माधव दास जी का दूसरा आश्रम है ! जहा से आगे चलने पर कालाडेरा क़स्बा पड़ता है जहा पर सरकारी कॉलेज सहरिया स्नाकोतर महाविद्यालय है ! यहाँ से घिनोई गाँव १० किलोमीटर पड़ता है! आगे चलने पर कानर पुरा गाँव पड़ता है ! यहाँ से गाँव ४ किलोमीटर उत्तर में पड़ता है! यहाँ से आगे चलने पर बावडी स्टैंड से गाँव की सीमा चालू होती है! यही से माधव दास जी का मन्दिर दिखाई देने लगता है ! बावडी और मन्दिर के बीच एक नदी है जिसमे ८-१० साल पहले शुद्ध जल बहता था लेकिन अब इसमे रिको का गन्दा पानी बहता है ! मन्दिर से मुख्य गाँव एक किलोमीटर दूर साउथ में स्थित है! मन्दिर के बाहरी गेट पर पानी की सुविधा बाबाजी के द्वारा उपलब्ध करायी गई है ! गाँव में सभी जाती धरम के लोग रहते है जैसे की हिंदू(सर्वार्धिक), मुस्लिम(एक दो परिवार), जैन(एक दो परिवार) रहते है! गाँव की आबादी अभी लगभग ५००० है जिनमे बागडा और हीर सम्मलित है !